सदन में ऐसे ही पास नहीं हो जाता अविश्वास प्रस्ताव, पूरी प्रक्रिया के बाद ही गिरती है सरकार

विपक्षी दलों के 50 से ज्‍यादा लोकसभा सदस्‍य अविश्वास प्रस्ताव पर नोटिस दे सकते हैं। चूंकि निचले सदन में विपक्षी दलों के पास 150 से कम सदस्य हैं इसलिए अगर वे अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं तो उनकी हार निश्चित है। साथ ही लोकसभा में बहस के दौरान उन्हें उतना समय नहीं मिल पाएगा क्योंकि सदन में पार्टियों की संख्या के अनुसार समय आवंटित किया जाता है।

संसद का मानसून सत्र जारी है, लेकिन मणिपुर मामले को लेकर दोनों सदनों में खूब हंगामा हो रहा है। इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष और उत्तर पूर्व नेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है

विपक्षी चाहते है कि पीएम मोदी मणिपुर मुद्दों पर सदन में बोलें। हालांकि, सरकार की तरफ से ये सफाई दी गई है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे। नरेंद्र मोदी सरकार,जिन्हें लोकसभा में कम से कम 332 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, को इस अविश्वास प्रस्ताव से लगभग कोई खतरा नहीं है।