गैर-भाजपाई वोटरों का विकल्प कौन बनेगा? सपा कमजोर हुई तो क्या कांग्रेस बनेगी लोगों की पहली पसंद

यूपी के संदर्भ में एक बात ध्यान देने योग्य है। समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह की राजनीति रही हो या बसपा के संस्थापक कांशीराम की, दोनों ही नेताओं ने सड़कों पर संघर्ष करके अपनी जमीन बनाई। लेकिन जनहित के मुद्दे पर इन दोनों ही दलों का कोई बड़ा जनआंदोलन पिछले पांच साल में दिखाई नहीं दिया। पूरे पांच साल तक प्रदेश में विपक्ष की अनुपस्थिति महसूस की गई…

लेकिन इन तमाम वर्गों के समर्थन के बाद भी वह भाजपा को रोक पाने में नाकाम होती दिखाई पड़ रही है। यदि एक्जिट पोल के मुताबिक ही चुनाव परिणाम आते हैं तो इससे गैर-भाजपाई विकल्प की तलाश में समाजवादी पार्टी की ओर मुड़ने वाले वोटरों को निराशा हाथ लग सकती है। बड़ा प्रश्न है कि क्या इस स्थिति में वोटर गैर-भाजपाई विकल्प के लिए किसी अन्य पार्टी की तरफ रुख कर सकते हैं? क्या कांग्रेस लोगों की इस उम्मीद पर खरा उतरने के लिए तैयार है?